ग्रहों के अशुभ प्रभाव की शांति के सामान्य उपाय
ग्रहों के अशुभ प्रभाव की शांति के सामान्य उपाय
साथियों नमस्कार हर हर महादेव जय माँ काली
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मैं माँ काली वास्तु ज्योतिष से अमूल्य बात कर रहा हूँ आज मैं आप सभी को बता ने वाला हूँ ग्रहों के अशुभ प्रभाव की शांति के सामान्य उपाय साथियों ग्रहों का अशुभ प्रभाव से इस भाव में ग्रहों के प्रभाव से अलगाव भी हो सकता है जिससे आपको परेशानी हो सकती है. आपको हीन भावना से भी गुजरना पड़ सकता है. Astrology: कुंडली में सूर्य, मंगल, शनि, राहू और केतु को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. कुंडली का बारहवां भाव खर्च और नुकसान के साथ ही बंधनों को भी दर्शाता है. आइये जानते हैं विस्तार रूप से
सूर्या:- कार्य मिठाई (मिष्ठान) खाकर एवं जल पीकर करें। बहते पानी में गुड़ तथा तांबा या तांबे का सिक्का बहाएं, विष्णु की उपासना करें, हरिपूजन करें तथा हरिवंश पुराण का पाठ करें। रविवार का व्रत करें और तांबा-गेहूं का दान करें। माणिक्य एवं तांबा अनामिका अंगुली में धारण करें। कुकर्म से बचते हुए अपने चरित्र को ठीक रखें और अपने गृह का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में रखें। तांबे के दो टुकड़े करके एक टुकड़ा बहते पानी में बहाएं और दूसरा आजीवन संभालकर रखें। यदि टुकड़ा चोरी हो जाए, तब पुनः तांबे का एक टुकड़ा पास में रखें, दूसरी बार पानी में न बहाएं।
चन्द्रमाः चन्द्रमा के सामान्य उपायों के लिए सोमवार का व्रत करें तथा दूसरे बड़े लोगों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। शिवजी की उपासना करें। माता, सासुजी (पत्नी की मां) नानी, दादी अर्थात पिता की मां एवं मौसी के चरण छूकर आशीर्वाद लें। चावल, दूध एवं चांदी का दान करें तथा पलंग के पायों में चांदी की कील ठोकें। मोती एवं चांदी तर्जनी अंगुली में धारण करें और पूर्णिमा को गंगा स्नान करें। दूध या पानी से भरा बर्तन सिरहाने रखकर सोएं और अगले दिन सारा पानी बबूल अर्थात कीकर की जड़ में डाल दें। चावल, दूध एवं पानी या दो मोती या चांदी के दो टुकड़े लेकर एक भोती या चांदी का टुकड़ा बहते पानी में बहा दें और दूसरा मोती या चांदी का टुकड़ा आजीवन संभालकर रखें। यदि मोती या चांदी का टुकड़ा खो जाए या चोरी हो जाए, तब पुनः मोती या चांदी का टुकड़ा पास में रखें, परन्तु दूसरी बार पानी में बहाने की जरूरत नहीं है।
मंगलः मंगल ग्रह के सामान्य उपायों के लिए जातक को सफेद सुरमा नेत्रों में लगाने से राहत मिलती है। तन्दूर में लगी मीठी रोटी बांटें तथा मूंगा अथवा तांबा अनामिका अंगुली में धारण करें और बहते पानी में रेवड़ियां, बताशे, शहद एवं सिन्दूर बहाएं। गायत्री मंत्र का जप करें और हनुमानजी की उपासना करें। मसूर, मिष्ठान (मिठाई) अथवा मीठे भोजन का दान करें। भाइयों की सेवा करें तथा मृगछाला पर सोएं। मंगलवार का व्रत करें तथा हनुमानजी को सिन्दूर का चोला चढ़ाएं। लाल पत्थर के दो टुकड़े लेकर एक टुकड़ा बहते पानी में बहा दें तथा दूसरा टुकड़ा आजीवन संभालकर रखें।
गुरुः गुरु ग्रह के सामान्य उपायों के लिए जातक गुरुवार का व्रत करें तथा माथे पर या पगड़ी पर पीला तिलक (केसर का तिलक या हल्दी का तिलक) लगाएं। केसर खाएं या नाभि एवं जीभ पर लगाएं। पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं तथा ब्रह्माजी की उपासना, हरिपूजन या हरिवंश पुराण का पाठ करें। कोई भी कार्य आरम्भ करने से पहले नाक अवश्य साफ कर लें। पीले फूलों वाले वृक्ष, पौधे गृह वाटिका में लगाएं और गरुड़ पुराण का पाठ करें। साधु एवं ब्राह्मणों की सेवा करके उनका आशीर्वाद अवश्य लें। पुखराज तर्जनी अंगुली में धारण करें और चने की दाल दान में दें। सोना पहनें तथा सोना दान में दें। दो स्वर्ण के टुकड़े लेकर एक टुकड़ा बहते पानी में बहा दें और दूसरा टुकड़ा आजीवन संभालकर रखें। यदि पास रखा टुकड़ा खो जाए या चोरी हो जाए, तब दूसरा टुकड़ा पुनः पास में रखें, पानी में दूसरी बार न बहाएं।
शुक्रः शुक्र ग्रह के सामान्य उपायों के लिए जातक शुक्रवार का व्रत रखें। अपने भोजन में से गाय को कुछ भाग दें (इससे धन धान्य बढ़ेगा)। प्रतिदिन अपने भोजन में से एक टुकड़ा गाय के लिए, एक कुत्ते एवं एक कौए को खाने को दें। हीरा, स्फटिक, सफेद जिरकन मध्यमिका अंगुली में धारण करें। गोदान करें अथवा ज्वार एवं हरा चारा दान करें। दूसरों का पालन-पोषण करें। लक्ष्मी उपासना करें तथा स्वच्छ एवं सफेद वस्त्र धारण करें। सुगन्धित पदार्थों का प्रयोग करें। घी, दही, कपूर एवं मोती का दान करें। दो मोती लेकर एक मोती को पानी में बहा दें और दूसरा मोती अपने पास आजीवन रखें।
शनिः शनि के सामान्य उपायों के लिए जातक बबूल की दातुन करें तथा शनिवार का व्रत, शनि स्तोत्र, कवच चालीसा, पूजा आरती करें। 43 दिन तक कौए को रोटी डालें तथा अपने भोजन में से एक टुकड़ा गाय को, एक कुत्ते को तथा एक कौए को खिलाएं। शनिवार को तेल में छाया देखकर तेल दान करें। राजा या बड़ों की सेवा करें तथा लोहा या साबुत उड़द का दान करें। भैरव की उपासना करें और सर्पों को दूध पिलाएं। तेल एवं शराब पेड़ों की जड़ों में ड़ालें। तेल से चुपड़ी रोटी कुत्ते या कौए को डालें। नीलम या कटैला मध्यामिका अंगुली में धारण करें अथवा जोड़ लगा लोहे का छल्ला मध्यामिका अंगुली में धारण करें। दो लोहे के टुकड़े या काले नमक के टुकड़े लेकर एक टुकड़ा बहते पानी में बहाकर दूसरा अपने पास आजीवन रखें।
राहुः राहु के सामान्य उपायों के लिए जातक संयुक्त परिवार में रहें तथा सिर पर चोटी रखें। ससुराल से संबंध न बिगाड़ें। जौ, अनाज को बड़े स्थान पर बोझ के नीचे दबाएं या दूध से धोकर बहते पानी में बहा दें। मूली दान करें या कोयला बहते पानी में बहाएं। विवाह योग्य कन्या का कन्यादान करें। सरस्वती पूजा एवं उपासना करें। सरसों एवं नीलम का दान करें, मसूर की दाल एवं रुपए प्रातः सफाई कर्मचारी को दान में दें। नीले कपड़े एवं स्टील के बर्तन, विद्युत उपकरण आदि दान में न लें, अपितु उचित मूल्य देकर ही लें। गोमेद. मध्यामिका अंगुली में धारण करें। तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में न करें। जेब में चांदी की ठोस गोली रखें अथवा चांदी किसी अन्य रूप (छल्ला, चेन आदि) में धारण करें। चांदी के दो टुकड़े या दो मोती या चावल की दो पोटली बनाकर उनमें से एक को बहते पानी में बहा दें और दूसरी पोटली या मोती या चांदी के टुकड़े को आजीवन अपने पास रखें। राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए केतु का उपाय भी करें।
केतुः केतु के सामान्य उपायों के लिए जातक गणेश चतुर्थी का व्रत एवं गणेश उपासना करें। नाक एवं कान छिदवाएं और कुत्ता पालें और कुत्ते को रोटी का टुकड़ा डालें। नौ वर्ष से कम वाली कन्याओं को खाने वाली खट्टी वस्तुएं दें। कपिला गाय का दान करें। काले एवं सफेद तिल बहते पानी में बहाएं। तिल, नीबू एवं केले का दान करें। चरित्र ठीक रखें और पापकर्मों से बचें। लहसुनियां रत्न की अंगूठी को मध्यामिका अंगुली में धारण करें। दो रंगे पत्थर के दो टुकड़े लेकर एक टुकड़ा बहते पानी में बहा दें तथा दूसरा टुकड़ा आजीवन साथ रखें। यदि दो रंगा टुकड़ा खो जाए या चोरी हो जाए तो दूसरा पुनः अपने पास रखें, पानी में दूसरी बार न बहाएं। केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए राहु का उपाय भी करें।
इस प्रकार से अनिष्ट-निवारण के उपायों में तीनों प्रकार के उपचार साथ-साथ करने को कहा गया है। फिर भी सदाचरण का सबसे अधिक महत्व है क्योंकि इससे ग्रह की अशुभता से सदा सर्वदा के लिए मुक्ति मिल जाती है और भावी वंशजों का जीवन भी सुरक्षित रहता है। कोई भी व्यक्ति तीनों नियमों का एक साथ पालन कर सकता है। इससे जातक को लाभ ही लाभ होगा, परन्तु हानि बिल्कुल नहीं होगी। जबकि टोटके ऐलोपैथिक दवाइयों के समान होते हैं, यदि किसी ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए अन्य ग्रह का टोटका भूल से भी हो गया तो विपरीत प्रभाव हो सकता है। इस दृष्टि से सदाचरण पूर्णतया सुरक्षित एवं सटीक है।
साथियों ये उपाय करे आशा है कि आपके जीवन में जो भी कुछ समस्या होगा ग्रहों के हिसाब से उपाय करे बहुत जल्द आप को सफलता मिलेगा और इसी तरह के जानकारी के लिए मुझे फ़ॉलो करें नीचे दिए गए लिंक पर
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