Why we celebrate Dussehra: दशहरा क्यों मनाते हैं, जानें दशहरा की कहानी

Nov 6, 2023

Why we celebrate Dussehra: दशहरा क्यों मनाते हैं, जानें दशहरा की कहानी

शारदीय नवरात्र के बाद 10वें दिन दशहरे का त्‍योहार देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन रावण के पुतले जलाए जाते हैं और भगवान राम की पूजा की जाती है। यह त्‍योहार बुराई पर अच्‍छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक मान्‍यताएं।

शारदीय नवरात्र के 9 दिन मां भगवती के व्रत करने के बाद 10वें दिन यानी कि दशहरे पर भगवान राम की पूजा की जाती है और दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में विजयादशमी को बुराई पर अच्‍छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। तभी से लोग हर साल लोग आश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की दशमी को दशहरे के रूप में मनाते हैं। इस दिन रावण के पुतले का दहन करके दशहरे का त्‍योहार मनाया जाता है। इस साल दशहरा 24 अक्‍टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा और इस दिन देश भर में जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाए जाएंगे। आइए आपको बताते हैं इस त्‍योहार को मनाने के पीछे क्‍या हैं पौराणिक मान्‍यताएं।

इसलिए मनाया जाता है दशहरा

14 वर्ष के वनवास के दौरान लंकापति रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया तो भगवान राम ने हनुमानजी को माता सीता की खोज करने के लिए भेजा। हनुमानजी को माता सीता का पता लगाने में सफलता प्राप्‍त हुई और उन्‍होंने रावण को लाख समझाया कि माता सीता को सम्‍मान सहित प्रभु श्रीराम के पास भेज दें। रावण ने हनुमानजी की एक न मानी और अपनी मौत को निमंत्रण दे डाला। मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासनी की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्‍त की, इसलिए इस त्‍योहार को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। रावण के बुरे कर्मों पर श्रीरामजी की अच्‍छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण के पुतले भी फूंके जाते हैं।

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मां दुर्गा ने किया था महिसाषुर का वध
पौराणिक मान्‍यताओं में विजयादशमी को मनाने के पीछे एक और मान्‍यता यह बताई गई है कि इस दिन मां दुर्गा ने चंडी रूप धारण करके महिषासुर नामक असुर का भी वध किया था। महिषासुर और उसकी सेना द्वारा देवताओं को परेशान किए जाने की वजह से, मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था और 10वें दिन उन्‍हें महिसाषुर का अंत करने में सफलता प्राप्‍त हुई। इसलिए भी शारदीय नवरात्र के बाद दशहरा मनाने की परंपरा है। इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति का भी विसर्जन किया जाता है।